October 25, 2025

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राज्य स्तरीय कला उत्सव में प्रदेश के लोक नृत्यों की रही धूम, स्कूल के विद्यार्थी स्थानीय संस्कृति एवं लोक कलाओं का कर रहे प्रदर्शन

भोपाल: स्कूल शिक्षा विभाग का 2 दिवसीय राज्य स्तरीय कला उत्सव शुक्रवार 24 अक्टूबर से भोपाल के कलियासोत कोलार रोड़ के मध्यप्रदेश भूमि एवं जल प्रबंधन संस्थान (वाल्मी) में शुरू हुआ।

राज्य स्तरीय कला उत्सव के पहले दिन गायन, वादन, नृत्य, नाटक, कहानी वाचन, मूर्तिकला, चित्रकला, स्थानीय शिल्प एवं खेल-खिलौना निर्माण की प्रतियोगिताएँ प्रारंभ हुईं। कार्यक्रम का आकर्षण प्रदेश की लोक संस्कृति पर आधारित नृत्य प्रस्तुतियां रहीं।

कार्यक्रम के शुभारंभ सत्र में अपर परियोजना संचालक समग्र शिक्षा अभियान श्रीमती मनीषा सेतिया ने विद्यार्थियों से कहा कि कला उत्सव वास्तव में बच्चों का उत्सव है, जो उन्हें अपनी संस्कृति, परंपरा और मूल्यों से जोड़ता है। यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों को साकार करता है और भारत की समृद्ध कला परंपरा से विद्यार्थियों को परिचित कराता है। कला उत्सव के माध्यम से बच्चे पुस्तकों से बाहर निकलकर विभिन्न कलाओं में दक्ष बनते हैं। यह आयोजन भारतीय कला के संरक्षण का महत्वपूर्ण माध्यम है।

इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय कला उत्सव में मध्यप्रदेश के 9 संभागों से लगभग 250 विद्यार्थी सहभागिता कर रहे हैं। कुल 12 प्रतियोगिता श्रेणियों में विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। लोकनृत्य की श्रृंखला में सागर संभाग की बालिकाओं ने ‘बधाई नृत्य’ की मनमोहक प्रस्तुति दी, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में विवाह एवं त्यौहारों के अवसर पर किया जाता है। जबलपुर संभाग की बालिकाओं ने ‘बरेदी नृत्य’ प्रस्तुत कर मध्य प्रदेश की देशज संस्कृति को सजीव कर दिया। शहडोल संभाग की बालिकाओं ने ‘गोंड जनजाति का गायकी लोकनृत्य’ प्रस्तुत किया, जो पशुपालकों द्वारा दीपावली पर किया जाता है। भोपाल संभाग की बालिकाओं ने ‘भगोरिया लोकनृत्य’ प्रस्तुत किया, जो भील जनजाति की विवाह परंपरा से जुड़ा नृत्य है और सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। सामूहिक लोकगीत प्रतियोगिता में सागर संभाग की बालिकाओं ने बुंदेली कजरी प्रस्तुत की, जो श्रावण मास में गाई जाती है और ऋतु परंपरा का सुंदर प्रतीक है।

भोपाल के अंश पाटीदार ने बांसुरी पर राग मेघ प्रस्तुत किया। सागर के केशव ने शहनाई पर मनमोहक प्रस्तुति दी। जबलपुर के छात्र पराग ने वायलिन वादन किया। तालवाद्य में भोपाल के कुणाल ठाकुर ने तबले पर तीनताल की प्रस्तुति दी तथा उज्जैन के राजपाल राव ने राग मधुमती प्रस्तुत किया। नाटक, कहानी वाचन और थिएटर प्रतियोगिता में भोपाल संभाग की बालिकाओं ने रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित लघुनाटिका प्रस्तुत की। इंदौर संभाग की बालिकाओं ने देवी अहिल्याबाई होल्कर के जीवन एवं उनके लोककल्याणकारी कार्यों पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की। जबलपुर संभाग के विद्यार्थियों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की। कहानी वाचन में इंदौर और सागर के विद्यार्थियों ने वीर तेजाजी के जीवन पर आधारित कहानी वाचन किया। भोपाल संभाग की बालिकाओं ने मुगलकालीन दास्तानगोई शैली में प्रस्तुति दी, जबकि जबलपुर संभाग के विद्यार्थियों ने सरदार ऊधम सिंह के जीवन पर आधारित कहानी वाचन प्रस्तुत कर देशभक्ति का भाव जगाया।

शास्त्रीय नृत्य में कत्थक, भरतनाट्यम एवं ओडिसी की प्रस्तुतियाँ हुईं। उज्जैन संभाग के विद्यार्थियों ने सामूहिक वादन में ढोलक, टीमकी, मृदंग एवं पखावज के सुरों से मनमोहक तालमेल प्रस्तुत किया। दृश्य कला में विकसित भारत @ 2047 थीम पर आधारित चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गई। मूर्तिकला प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने लालपुर की काली मिट्टी से भारत की विविध मूर्तिकला शैलियों को जीवंत रूप दिया। स्थानीय शिल्प एवं खेल-खिलौना निर्माण प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने लकड़ी व मिट्टी के खिलौनों के माध्यम से भारत की प्राचीन लोक परंपराओं को पुनर्जीवित किया।

वर्ष 2015 में शिक्षा मंत्रालय, केन्द्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया कला उत्सव कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को भारतीय कलाओं से जोड़ने का माध्यम है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में भारतीय कला, संस्कृति एवं शिल्प परंपराओं के प्रति समझ, संवेदना और सम्मान का विकास करना है।

राज्य स्तरीय कला उत्सव का समापन समारोह 25 अक्टूबर शनिवार को दोपहर 3 बजे होगा। जिसमें सभी विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। आगामी राष्ट्रीय कला उत्सव का आयोजन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 15 नवंबर से महाराष्ट्र के पुणे में किया जाएगा, जिसमें राज्य स्तर के विजेता प्रतिभागी मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करेंगे।

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