April 20, 2024

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गुडी पाडवा पर्व की धूम, और आपको नव वर्ष की बधाई

गुडी पाडवा पर्व से हिन्दू नव संवत्सरारम्भ माना जाता है। यह हर साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को होता है, जब हिन्दू पंचांग का नया साल शुरू होता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। इसे भारत के विभिन्न भागों में इसे भिन्न-भिन्न नामों से संबोधित किया जाता है। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि और महाराष्ट्र में यह पर्व गुडी पाडवा के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन चैत्र नवरात्रि का प्रारम्भ होता है।
गुडी का अर्थ होता है विजय पताका। कहते हैं शालिवाहन नामक एक कुम्हार.पुत्र ने मिट्टी के सैनिकों की सेना से प्रभावी शत्रुओं का पराभव किया। इस विजय के प्रतीक रूप में शालिवाहन शक का प्रारंभ इसी दिन से होता है। युग और आदि शब्दों की संधि से बना है युगादि अपने अपभ्रंश रूप में उगादि कहलाता है।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम ने वानरराज बाली के अत्याचारी शासन से दक्षिण की प्रजा को मुक्ति दिलाई थी। बाली के त्रास से मुक्त हुई प्रजा ने घर-घर में उत्सव मनाकर ध्वज यानी गुडी फहराए। यही कारण है आज भी घर के आंगन में गुडी खड़ी करने की प्रथा महाराष्ट्र में प्रचलित है।

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